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ब्रह्मधाम के बारे मे

         || GURUR BRAHMÁ, GURUR VIŠNÚ GURUR DÉVÓ MAHÉŠVARA ||
         || GURUR SAKŠÁT PARABRAHMA TASMAI ŠRÍ GURAVÉ NAMAH ||






दूसरा ब्रम्हाजी मंदिर आसोतरा में जिला बाडमेर राजस्थान में बना हुआ है!


भगवान ब्रह्मा हिन्दू त्रय के प्रमुख भगवान है. अन्य दो भगवान विष्णु और भगवान महेश हैं! ब्रह्मा सृष्टि का स्वामी है! पुष्कर में ब्रह्मा का मंदिर है! दूसरा ब्रम्हाजी मंदिर आसोतरा में जिला बाडमेर राजस्थान में बना हुआ है ये मन्दिर श्री 1008 खेतेश्वर महाराजजी दुवारा बनाया गया है इस मंदिर जैसलमेर के पीले (सुनहरे पत्थर) मुख्य प्रवेश द्वार हॉल के निर्माण में इस्तेमाल किया गया है! मंदिर के बाकी जोधपुर पत्थर (Chhitar स्टोन) से बना है! श्री ब्रह्मा जी की मूर्ति संगमरमर से बना है! लेकिन नक्काशी काम अद्वितीय है. मंदिर की नींव 20 अप्रैल, 1961 को रखी गई थी लेकिन देवता 6 मई 1984 पर विराजमान किया गया था. 23 वर्ष तक चले निर्वहन इस मन्दिर निमार्ण में राजस्थान की सूर्य नगरी जोधपुर के छीतर पत्थर को तलाश कर स्वंयं के कठोर परिश्रम से बिना किसी नक्शा तथा नक्शानवेश के 44 खम्भों पर आधारित दो विशाल गुम्बजों में एक विशालकाय शिखर गुम्बज तथा उत्तर-दक्षिण में पांच-पांचकुल दस छोटी गुम्बज नुमा शिखाएंहाथ की सुन्दर कारीगरी की अनेक कला कृतियां जिनकी तलाश की सफाई व अनोखे आकारो में मंडित प्रतिमायें जिसमें प्रमुख देवता भगवान ब्रह्मा है, उसकी पत्नी गायत्री प्रतिमा मुख्य देवता की तरफ से भी है. वास्तव में मूर्ति मूर्तिकला लालित्य की अद्वितीय टुकड़ा है. वहाँ विभिन्न वैदिक ऋषि - मुनियों महर्षि उद्दालक (Uddalak), महर्षि वशिष्ठ, महर्षि कश्यप, महर्षि गौतम, महर्षि पिप्पलादा के, महर्षि पराशर के और महर्षि भारद्वाज  सहित विभिन्न वैदिक ऋषियों की प्रतिमाओ से जुडा पवित्र व शान्त वातावरण इस विशाल काय ब्रह्म मन्दिर के एक दृढ संकंल्पी चिरतामृत का समर्पण दर्शनार्थी को आकिर्षत किए बिना नही रहता और इस मदिर के वर्तमान गादीपति एवं राजपुरोहित समाज के धर्माधीकारी संत अनंत श्री विभूषित ब्रह्मऋषि ब्रह्माचार्य श्री ब्रह्मा सावित्री सिध्द पीठाधीश्वर श्री 1008 तुलसाराम जी महाराज है ये मंदिर राजपुरोहित समुदाय द्वारा मुख्य रूप से बनाया गया है! 
 

  ब्रम्हाजी मंदिर का प्रवेश दुवार आसोतरा में जिला बाडमेर राजस्थान  


 
                                                                                                                   
इस मंदिर में ब्रहमाजी भगवान के स्‍नान का पानी कंही अन्‍यत्र न जाये! ब्रह्म की प्रतिमा के स्नान का पवित्र जल भूमि के उपर नही बिखरे जिसके संदर्भ में उन्होने प्रतिमा से पाताल तक जल विर्सजन के लिए स्वंयं की तकनिक से लम्बी पाईप लाईन लगावाई! } इस लिये दर्शनार्थियों के लिये यह व्‍यवरूथा मन्दिर के पिछे वाले भाग में की गई है! यंहा आने वाले दर्शनार्थी ईस पवित्र जल को अपनी आंखो पर लगाकर अपने कष्‍टो से मुक्‍त हो जाते है!