श्री निर्मलदासजी का उद्द्बोधन
"कुरीतियां छोड़ एकजुट हो"
इक्कीसिवीं सदी की ओर बढता हमारा भारत अभी भी कहीं न कहीं विभिन्न सामाजिक मान्यताओं के कारण पिछड़ा हुआ कहलाता है |.ये क्या है?ये क्यों है?ये कैसे समाप्त होगी?क्या मैंने-आपने ये कभी सोचा? शायद नहीं,तो आयें हम सचेत हो कर अपने जागृत होने का प्रमाण दें ,अपनी जन्मभूमि का कर्ज समझ कर इस समस्या को जड़ से ख़तम करें,क्योंकि बड़े-बुड्ढों ने कहा है,काल करे सो आज कर,आज करे सो अब,पल में प्रलय होगी फेर करेगा कब | समाज में फैल रही कुरीतियों का छोड़कर समाजजन एक होंगे तब ही राजपुरोहित समाज का विकास होगा।राजपुरोहित अपने कर्म की पहचान कर एक हो। यह बात भारत साधू समाज के प्रदेशाध्यक्ष श्री निर्मलदासजी ने 8 मार्च को मायलावास मे बतौर मुख्य अतिथि के रुप मे कही। न्यूज मायलावास से बालूसिह एच राज्पुरोहित 9982871008
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बालू सिंह एच राजपुरोहित
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राजपुरोहित शिक्षा समिती
मुम्बारी
प्रस्तुतकर्ता
बालू सिंह एच रापुरोहित