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गाव मुम्बारी की स्थापना

 गाव मुम्बारी की स्थापना
 गोत्र के राजपुरोहित कनोज से राजस्थान में आए और सिरोही के पास आबूपर्वत गाव बसाया |वहा पर राजपूत  जाती से विवाद हो गया | पाच्लोड् राजपुरोहितो ने गोदारा(श्राप) देकर गाव छोड़कर चले गये बडे भाई प्रेमसिह चावंडा आकर के बस गये तथा छोटॆ भाई बारमेर जिले की सिवाना तहसील के मुम्बारी गाव  आकर डेरा डाला पास अपना गाव बछाया कई सालो बाद तक वहा निवास करते रहे वहा पर भयकर बारिश होने से पुरे गाव मे बाढ आ गई वहा से पास के गाव जिनपुर जाकर के बस गये वा ठाकुर तगसिह जाती के राजपूतो से पानी के लिए विवाद हो गया |तो पाचलोड जाती के पुरोहितो ने वहा के ठाकुर को श्राप देकर वहा से रवाना हो गये | और पुन वर्तमान मुम्बारी आकर बच गये वर्तमान मुम्बारी कि स्थापना मालजी पाचलोड ने सन 877 के आस-पास कि और वे पहले राजा थे 550 सालो तक उनका शासनकाल माना जाता है      वहा पर कल्याणसिह  ने एक कुआ  दा के पास में माँ चामुंडा का मंदिर बनाया गया उस समय गाव में मात्र100-150 घर थे | जबकि सन 2000 में वंशज बढ़कर1500-2000 हो गये है उसके पश्यात माँ चामुंडा का भव्य मंदिर की नीव रखी जिसके अवशेष आज भी मौजुद है ऐसा कहा जाता है कि पाच्लोडो का वशज वर्तमान मुम्बारी से गये हुए है  गाव मे शिवानन्दजी कि सामाधी शिवजी , और हनुमान जी और गोगाजी एवं कुल देवता माम जी का स्थान भी है
तथा अमर थडकला मुख्य है मुम्बारी ग्राम प. मुख्तालय से 34 किमी दूरी पर आया हुआ है

 

                                                             लेखक-कान  सिंह राजपुरोहित मुम्बारी पुरोहितान

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